उत्तरकाशी।
सरनौल गांव के निकट भूस्खलन से सात आवासीय भवन खतरे की जद में आ गए हैं। भूस्खलन के कारण ग्रामीण रात भर नहीं सो पाए। सात परिवारों ने अपने पुस्तैनी मकान छोड कर स्कूलों में शरण ली है। ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द विस्थापन की मांग की है। जिससे ग्रामीण सुरक्षित स्थानों पर अपने मकान बना सकें।

नौगांव ब्लाक के सरनौल गांव के निकट छंडारी तोक में भूस्खलन कई वर्षों से सक्रिय है। 30 वर्ष पहले प्रशासन की ओर से विस्थापन की प्रक्रिया भी शुरू की गई थी।
जिसमें कुछ परिवार विस्थापित किए गए। लेकिन, वर्तमान में गांव के सात परिवारों के लिए भूस्खलन सबसे अधिक खतरा बन गया है। कभी भी भूस्खलन से ग्रामीणों के पुस्तैनी मकान ध्वस्त हो सकते हैं। भूस्खलन सक्रिय होने की सूचना पर बडकोट तहसील प्रशासन की टीम सरनौल गांव पहुंची थी। भूस्खलन का निरीक्षण करने के बाद प्रशासन की टीम ने खतरे की जद में आने वाले सात परिवारों को अपने मकान खाली करने की सलाह दी। जिसके बाद प्रभावित ग्रामीण प्रताप राणा के परिवार ने राजकीय इंटर कालेज सरनौल में शरण ली। जबकि प्रवीन राणा, तरवीन राणा और संजय राणा के परिवार ने गांव के पंचायत घर में शरण ली।

उदय सिंह राणा, जबर सिंह राणा व चंदन सिंह राणा के परिवार ने प्राथमिक विद्यालय सरनौल में शरण ली। भूस्खलन से प्रभावित प्रवीन राणा ने बताया कि गांव में भूस्खलन का निरीक्षण करने के लिए भूविज्ञानियों की टीम नहीं आई है। साथ प्रशासन की ओर से जरूरी सुविधाएं नहीं दी गई हैं। जिस पंचायत घर में उनके परिवार ने शरण ली है उसकी हालत जर्जर है तथा पंचायत घर की छत टपक रही है।