उत्तरकाशी पोस्ट।
आरक्षित वन क्षेत्र में बिना अनुमति के धनवंतरी की मूर्ति लगाने के मामले में पतंजलि योगपीठ के बालकृष्ण विवादों में फंस गए हैं।
सूचना पर वन विभाग की टीम मूर्ति को सील करने के लिए रवाना हुई। बीते रविवार रात तक मूर्ति चीज हुई है कि नहीं, वन विभाग की टीम से संपर्क नहीं हो पाया है। वहीं मूर्ति पहुंचाने और स्थापित करने के इस पूरे प्रकरण में निम के अधिकारियों और उनकी टीम ने किनारा किया है। आपको बता दे कि पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बीते शुक्रवार निम में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा था कि हर्षिल हॉर्न चोटी के आरोहण के साथ करीब एक क्विंटल (ग्रेनाइट) की धनवंतरी की मूर्ति को वह उसी क्षेत्र में स्थापित करेंगे। बिना अनुमति के गत शनिवार को ग्रेनाइट की मूर्ति धराली के निकट झिंडा बुग्याल में पहुंचाई गई थी। प्रभागीय वनाधिकारी डीपी बलूनी ने मामला संज्ञान में आते ही गंगोत्री रेंज अधिकारी को निर्देश दिए थे कि बुग्याल क्षेत्र में बिना अनुमति के पहुंचाई गई मूर्ति को सील किया जाए। मामले में डीएफओ ने निम के अधिकारियों से भी बात की थी। गंगोत्री रेंज अधिकारी जगमोहन गंगाड़ी ने कहा कि मूर्ति को सीज करने और उसे धराली लाने के लिए आठ वन कर्मियों को झिंडा बुग्याल क्षेत्र में भेजा गया। नेटवर्क न होने के कारण उनका भेजी गई टीम से संपर्क नहीं हुआ है।