उत्तरकाशी।
नागपुर महाराष्ट्र के दिलीप भरत मलिक का साइकिलिंग का शौक उन्हें देवभूमि उत्तराखण्ड ले आया है। वह लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज करने के लिए 45711 किमी की साईकिल यात्रा पर हैं। उनका लक्ष्य 15 महीने में इस यात्रा को पूरी करने का है। इस दौरान वह साइकिल यात्रा के जरिये नशे से दूर रहने का संदेश दे रहे हैं।
54 वर्षीय दिलीप भरत मलिक ने बताया कि उन्हें बचपन से ही साइकिलिंग का शौक है। उन्होंने बताया कि वह वर्ष 2012 से लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया की सही जानकारी नहीं होने के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। जिसके बाद 26 जनवरी 2022 से वह रिकार्ड बनाने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए आवेदन कर घर से साइकिल यात्रा पर निकले हुए हैं। जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख, खारदूंगला, हिमाचल प्रदेश होते हुए उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद पहुंचे हैं। दिलीप ने बताया कि वह यात्रा के साथ देश के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देने, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता रखने, पर्यावरण बचाओ के साथ लोगों को नशा उन्मूलन के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
बताया उत्तरकाशी से होते हुए वह बद्रीनाथ जायेंगे। उसके बाद मेघालय, नागालैंड, विशाखापट्नम, कोलकाता, मध्यप्रदेश, दिल्ली के बाद नागपुर में यात्रा का समापन करेंगे। बताय कि वह साइकिल पर तिरंगे झंडे लगाकर लोगों को तिरंगे झंडे के प्रति सम्मान का भाव रखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
मां के देहांत पर भी यात्रा नहीं की स्थगित
दिलीप भरत मलिक बताया कि 22 फरवरी को उनकी मां का देहांत हो गया। उस दौरान वह घर से 1800 किमी दूर गुजरात में थे। घर से सूचना मिलने के बाद भी वह यात्रा को बीच में छोड़कर वापस नहीं हुए। उन्होंने अपने छोटे बेटे को दादी के अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार किया।
सहयोगी के रूप में जुड़े चमोली के जितेंद्र
चमोली के जितेंद्र रावत भी दिलीप भरत मलिक की यात्रा में सहयोगी की तरह जुड़ गए हैं। उन्होंने बताया कि वह पहली बार साइकिलिंग कर रहे हैं। इस दौरान मनाली मॉलरोड़ हिमाचल में उनकी मुलाकात दिलीप से हुई। जहां से वह साइकिलिंग को और अच्छे ढंग से सीखने के लिए दिलीप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि वह दिलीप भरत मलिक के उद्देश्य को पूरा करने में उनका सहयोग करेंगे।