– उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम के अनुसार तीन संतान वाले नहीं लड़ सकते पंचायत चुनाव
उत्तरकाशी।
जनपद में चुनाव के बाद तीसरी संतान पैदा करने वाले प्रधान प्रधानी नहीं छोड़ रहे हैं। जबकि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 के तहत तीसरी संतान होने पर पंचायत प्रतिनिधि की सदस्यता रद्द हो जाती है। जनपद में दो ग्राम पंचायतों में महिला प्रधानों की चुनाव के बाद तीसरी संतान होने की पंचायती राज विभाग ने पुष्टी भी की है। इसके बावजूद उक्त प्रधान अपने पदों पर डटे हुए हैं। जिला पंचायत राज विभाग का कहना है कि पद मुुक्त किए जाने की कार्रवाई की जा रही है।
जनपद उत्तरकाशी में चार ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों की शिकायत जिला अधिकारी व जिला पंचायत राज विभाग से की गई है। उक्त चारों ग्राम प्रधान महिलाएं हैं। इन ग्राम प्रधानों पर चुनाव के बाद तीसरी संतान होने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि नियमानुसार चुनाव के बाद तीसरी संतान होने पर ग्राम प्रधान की सदस्यता समाप्त हो जाती है। बावजूद उक्त प्रधान प्रधानी नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं जिला पंचायत राज विभाग भी विभागीय जांच में दो प्रधानों की चुुनाव के बाद तीसरी संतान होने की पुष्टि कर चुका है।
इन विकास खंडों में हुई चुनाव के बाद प्रधानों की तीसरी संतान
विकासखंड नौगांव की कुथनौर व मसाल ग्राम पंचायत, पुरोला विकासखंड की हुडोली, चिन्यालीसौड़ विकासखंड की पुजार ग्राम पंचायत के प्रधानों की शिकायत मिली है। एक महिला ग्राम प्रधान ने तो विभागीय जांच के दौरान चुनाव के बाद तीसरी संतान होने की बात स्वीकारी भी है। जिला पंचायत राज अधिकारी सीपी सुयाल ने कहा कि दो ग्राम पंचायतों के प्रधानों की तीसरी संतान होने की पुष्टि विभागीय जांच में हुई है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नियम विरुद्घ प्रधान पद पर जमे रहना वित्तीय अनियमितता की श्रेेणी में आता है।
जिला पंचायत राज अधिकारी सीपी सुयाल ने बताया कि जनपद में चार ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों की चुनाव के बाद तीसरी संतान की शिकायत मिली है। जिसमें से दो ग्राम प्रधानों की विभागीय जांच में पुष्टि भी हुई है। नियम विरुद्घ पद पर जमे रहना वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में भी आता है।