उत्तरकाशी पोस्ट,नई दिल्ली।
यूक्रेनी सैनिकों को दक्षिण में खेरसॉन क्षेत्र में नई बढ़त मिल गई है और बीते सोमवार को भी उनका यह अभियान जारी रहा। यह कामयाबी रूस के लिए असहज हालात पैदा कर रही है। सोमवार को यूक्रेनी सेना अपने मोर्चे पर नीप्रो नदी से आगे बढ़ी और हजारों रूसी सैनिकों को घेरने की चेतावनी दी। रूसी सूत्रों ने भी स्वीकार किया कि यूक्रेनी टैंक नदी के पश्चिमी तट पर दर्जनों किलोमीटर आगे बढ़ गए हैं। उन्होंने रास्ते में कई गांवों पर भी कब्जा कर लिया है। यह रूस के लिए झटका है।

हालांकि कीव ने अभी इस कामयाबी पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन रूसी सूत्रों की स्वीकारोक्ति बहुत कुछ कह रही है। यूक्रेन के खेरसॉन प्रांत के कब्जे वाले हिस्सों में रूसी स्थापित नेता व्लादिमीर साल्दो ने रूसी सरकारी टीवी को बताया कि सूचना तनावपूर्ण है। इसे ऐसे ही देखें क्योंकि हां, वास्तव में उन्हें कुछ सफलता मिली है। दनीप्रो नदी के किनारे दुदचानी नामक बस्ती में वे सफल रहे हैं। इन बस्तियों पर यूक्रेनी बलों का कब्जा है। यूक्रेनी मीडिया ने सैनिकों की खेरसॉन क्षेत्र स्थित खीशचे निवका गांव में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए तस्वीर प्रकाशित की है। उधर मॉस्को समर्थक रूसी सैन्य ब्लॉगरों ने स्वीकार किया है कि यूक्रेनी सैनिक बेहतर हैं और उनके अभियान को मदद मिल रही है।
रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों में गोले दाग आगे बढ़ता यूक्रेनी टैंक एजेंसी भीतर तक घुसी यूक्रेनी सेना : रुसी अफसर
रूस द्वारा खेरसॉन क्षेत्र में तैनात अफसर किरील स्ट्रीमोउसोव ने सोमवार सुबह वीडियो संदेश में स्वीकार किया है कि यूक्रेन की सेना उनके कब्जे वाले क्षेत्र के कुछ और भीतर तक पहुंच गई है। हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि ‘सबकुछ नियंत्रित है’ और रूसी रक्षा प्रणाली इलाके में काम कर रही है।
जोलोता बाल्का भी यूक्रेनी नियंत्रण
में यूक्रेनी गृह मंत्रालय के सलाहकार एंतोन गेराशचैको ने यूक्रेनी सैनिकों की तस्वीर पोस्ट कर लिखा कि यह पिछले मोर्चे से करीब 20 किमी दूर मिखाइलिवका गांव था। हमने यहां अपने सैनिक देखे हैं। यानी जोलोता बाल्का भी हमारे बलों के नियंत्रण में है और सेना बेरिस्लाव के पास नीप्रो के किनारे आगे बढ़ रही है।
यूरोप में गैस की कमी का अभूतपूर्व संकट ब्रुसेल्स। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि रूस द्वारा पाइपलाइन शिपमेंट में कटौती के बाद यूरोप को प्राकृतिक गैस आपूर्ति के अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, जहाज से आने वाली पहले से ही महंगी तरल गैस के लिए एशियाई बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। एजेंसी