उत्तरकाशी।
सर बडियार पट्टी के डिगाड़ी गांव की बीमार शंकुतला देवी को ग्रामीणों ने आठ किलोमीटर पैदल चलकर डंडी-कंडी से बड़कोट अस्पताल पहुंचाया। बड़कोट में प्राथमिक उपचार देने के बाद चिकित्सकों ने उसे देहरादून रैफर कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि सर बडियार पट्टी के आठ गांव के लिए जो ऐलोपेथिक सेंटर बनाया गया। उसमें लंबे समय से मेडिकल स्टॉप नहीं होने के कारण ताला लटका हुआ है।

सर बडियार पट्टी के सर, डिगाड़ी, लिवटाड़ी, कसलूं, किमडार, पौंटी, गोल व छानिका गांव के ग्रामीणों को लंबे समय से सड़क नहीं होने का खमियाजा भुगतान पड़ा रहा है। पट्टी के आठ गांव अभी तक सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाये हैं। जिस कारण ग्रामीणों को मूलभूत समस्याओं जूझना पड़ रहा है। इन आठ गांव में सबसे बुरा हाल स्वास्थ्य सेवाओं का है। गांव में गर्भवति हो या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित ग्रामीणों को हमेशा डंडी- कंडी पर लाद कर सात से आठ किलोमीटर पैदल लाकर उपचार के लिए बड़कोट अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। डिगाड़ी गांव में 49 साल की शंकुतला देवी एक हफ्ते से बीमारी थी। सोमवार को ज्यादा तबियत बिड़ने पर ग्रामीणों ने विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच शंकुतला देवी को डंडी-कंडी में लादकर बड़कोट अस्पताल पहुंचाया। बड़कोट अस्पताल में उपचार देने के बाद चिकित्सकों ने शंकुतला को हायर सेंटर देहरादून रैफर कर दिया।
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ग्रामीण कैलाश रावत ने बताया कि उनकी माता एक हफ्ते से बीमार थी, तबियत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें ग्रामीणों ने डंडी-कंडी से बड़कोट पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने गांव में एक ऐलोपेथिक सेंटर खुलवाया है। उसमें मेडिकल स्टॉप नहीं होने के कारण ताला लटका हुआ है। फिलहाल आठ गांव के ग्रामीणों का स्वास्थ्य भगवान भरोसे है।
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