उत्तरकाशी पोस्ट,नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के संविधान में प्रस्तावित संशोधन के लिए मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पुत्र व सचिव जय शाह के बोर्ड में बने रहने का रास्ता साफ हो गया है। अब दोनों को अगले कार्यकाल के लिए जरूरी तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड में नहीं जाना पड़ेगा।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने बीसीसीआई की संविधान में संशोधन की याचिका पर फैसला सुनाया कि पदाधिकारियों का राज्यसंघ और बोर्ड में कार्यकाल 12 साल का होगा। अब कूलिंग ऑफ पीरियड तभी लागू होगा, जब कोई पदाधिकारी छह साल राज्यसंघ या फिर छह साल या दो कार्यकाल बोर्ड में पूरा करता है। शीर्ष अदालत ने राज्य संघ में तीन साल के बाद बीसीसीआई में तीन साल पूरे करने पर कूलिंग ऑफ पीरियड की बाध्यता समाप्त कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उसका विचार है कि प्रस्तावित संशोधन, कूलिंग ऑफ अवधि की भावना और उद्देश्य को कमजोर नहीं करेगा, अगर किसी व्यक्ति ने बोर्ड या राज्य संघ में दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं।
राज्य संघ या बोर्ड में छह साल के बाद लेना होगा कूलिंग ऑफ पीरियड
नई दिल्ली। पीठ ने फैसला सुनाया है कि कोई भी पदाधिकारी किसी भी पद पर दो छह साल के कार्यकाल राज्य में और दो कार्यकाल बीसीसीआई में पूरा कर सकता है। इसके बाद ही तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड लागू होगा। अदालत के फैसले के अनुसार कोई भी पदाधिकारी राज्य स्तर पर दो कार्यकाल पूरा कर चुका है तो उसे बीसीसीआई का चुनाव लड़ने के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड की जरूरी नहीं होगी।