उत्तरकाशी।
एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल अपने बुजुर्ग माता-पिता का एकलौता सहारा थी। वह पिछले छह-सात सालों से अपने परिवार की आजीविका बेटी होते हुए भी बेटा बनकर चला रही थी। द्रौपदी का डांडा पर्वत चोटी पर हिमस्खलन की चपेट में आकर सविता की असमय मौत से उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
बीते मंगलवार को द्रौपदी का डांडा में हिमस्खलन की चपेट में आकर निम की प्रशिक्षक सविता कंसवाल(28) की मौत हो गई। विकासखंड भटवाड़ी के लोंथरु गांव निवासी राधेश्याम कंसवाल व कमली देवी की चार बेटियों में सविता सबसे छोटी थी। सविता के रिश्तेदार बताते हैं कि सविता के माता-पिता एक बेटा चाहते थे।
लेकिन बेटी होने के बावजूद सविता ने अपने माता-पिता को कभी बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी। लौंथरु गांव की प्रधान कुसुम नौटियाल बताती हैं कि सविता की तीन बहिनों केदारी, रजनी व मनोरमा की शादी होने के बाद बुजुर्ग माता-पिता का सविता एकलौता सहारा थी। सविता के पिता राधेश्याम कंसवाल पंडिताई का काम करते हैं। लेकिन बुढ़ापे के चलते वह पिछले कुछ सालों से केवल आस-पड़ोस में ही पंडिताई के लिए जा पाते हैं। सविता को जब पर्वतारोहण के क्षेत्र उतरी तो परिवार को बड़ा संबल मिला। पिछले छह-सात सालों से घर का खर्च सविता ही उठा रही थी। कुछ साल पहले ही उसने अपने गांव के घर-आंगन की मरम्मत करवाई थी। इसी साल एवरेस्ट फतह करने पर ग्रामीणों ने सविता का जोरदार स्वागत किया था। गांव में किसी को भी विश्वास नहीं हो रहा है कि सविता अब इस दुनिया में नहीं है।