उत्तरकाशी।
हिमस्खलन हादसे में लापता दोनों प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की खोजबीन अब जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) की मदद से होगी। नेहरु पर्वतारोहण संस्थान(निम) ने इसे खासतौर पर बैंगलुरु से मंगवाया है। निम प्रबंधन की मानें तो लापता प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की खोजबीन में जीपीआर मददगार साबित होगा। बीते 4 अक्तबूर को द्रौपदी का डांडा-2 चोटी पर आरोहण के दौरान निम के एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स (एएमसी) के प्रशिक्षु पर्वतारोही व प्रशिक्षकों का दल हिमस्खलन की चपेट में आ गया था। हादसे में 27 लोगों की मौत हुई थी।

जबकि दो प्रशिक्षु पर्वतारोही अभी भी लापता चल रहे हैं। इनमें नौसेना में नाविक विनय पंवार (उत्तराखंड) व लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक वशिष्ट(हिमाचल) शामिल हैं। जिनकी खोजबीन के लिए निम और हाई एल्टीट्यूट वॉर फेयर स्कूल (हॉज) की संयुक्त रेस्क्यू टीम दिन-रात एक किए हुए हैं। लेकिन अब निम प्रबंधन दोनों की लापताओं की खोजबीन के लिए तकनीकी मदद लेने जा रहा है। निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि दोनों लापता प्रशिक्षुओं की खोजबीन के लिए बैंगलुरु से जीपीआर को मंगवाया गया है। जो हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंचने के बाद सड़क मार्ग से लाया जा रहा है। करीब 15 लाख रुपए का यह उपकरण जमीन के अंदर 10 मीटर तक दबे व्यक्ति को खोज सकता है। जिससे दोनों लापताओं की खोजबीन में मदद मिलने की उम्मीद है।
चंडीगढ़ स्थित भारत सरकार के हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (सासे) के हिमस्खलन विशेषज्ञ डा.एचएस नेगी ने बताया कि जीपीआर उच्च-आवृत्ति रेडियो तरंगों का उपयोग करता है। जिसमें एक ट्रांसमीटर और एंटीना जमीन में विद्युत चुम्बकीय तरंगों का उत्सर्जन करता है। जब तरंगें एक दबी हुई वस्तु या विभिन्न पारगम्यता वाली सामग्रियों के बीच की सीमा का सामना करती है, तो यह परावर्तित होकर वापस लौटती है। जिसे एंटीना रिकॉर्ड करता है। जिससे पता चल जाता है कि अंदर कुछ है, जिसे खोदकर निकाला जा सकता है।
कई क्षेत्रों में इस्तेमाल जीपीआर
जीपीआर का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में होता है। इनमें पुरातत्व विज्ञान से लेकर सेना, अवस्थापना विकास, पृथ्वी विज्ञान व किसी इमारत आदि ध्वस्त होने से जिंदा दफन लोगों के रेस्क्यू में किया जाता है। सेना इसका इस्तेमाल बारुदी सुरंगों का पता लगाने में करती है।
निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि दोनों लापता प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की खोजबीन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जीपीआर के यहां पहुंचते ही हादसे वाली जगह ले जाने के लिए भी टीम तैयार है। सोमवार से जीपीआर की मदद से खोजबीन की जाएगी।