उत्तरकाशी।
महिला ट्रांस हिमालयन अभियान के तहत 13 महिलाएं लमखागा दर्रा के लिए हर्षिल से रवाना होंगी। दल का नेतृत्व भारत की पहली महिला एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल करेंगी। दल में शामिल सभी महिलाएं 50 वर्ष से अधिक आयु की हैं।

टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की ओर से महिला ट्रांस हिमालयन अभियान आयोजित किया जा रहा है। यह अभियान आजादी का अमृत महोत्सव को समर्पित है। इस अभियान में पहली बार बार पूरे भारत वर्ष से 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिला प्रतिभागी शामिल हैं। जिनमें तीन महिलाएं एवरेस्ट विजेता भी हैं। पांच महीनें लंबे इस अभियान में पूर्व से पश्चिम तक हिमालय की यात्रा करना शामिल है। जिसके तहत अरुणाचल से लद्दाख तक 4977 किमी से अधिक की दूरी तय करना व करीब 37 पर्वतीय दर्रों को पार करना है। दल अब तक 100 दिनों में 3912 किमी की दूरी तय कर चुका है। बृहस्पतिवार को इस दल की सभी महिला सदस्य उत्तरकाशी पहुंची। शुक्रवार को दल हर्षिल से लमखागा दर्रा के लिए रवाना होगा। दल 7 जुलाई को लमखागा दर्रा पार कर लेगा। अभियान 26 जुलाई को लद़्दाख से होकर कारगिल में समाप्त होगा।
बैहद चुनौती पूर्ण है लमखागा दर्रा पार करना
लमखागा दर्रा यह दर्रा 5282 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जो हिमाचल के किन्नौर को उत्तराखंड के हर्षिल से जोड़ता है। यह एक बेहद चुनौती पूर्ण दर्रा है। दर्रा हिमाचल की सांगला घाटी के अंतिम गांव छितकुल से होकर गुजरता है। यहां प्रति वर्ष बड़ी संख्या में ट्रैकर्स आते हैं। वर्ष 1933 में इस दर्रे को सबसे ग्रीक ब्रिटिश लेखक व पर्वतारोही मार्को एलेक्जेंडर ने पार किया था।
दल में शामिल हैं ये महिलाएं
बछेंद्री पाल, चेतना शाहू, डा. सुषमा बिस्सा, गंगोत्री सोनेजी, एल अन्नपूर्णा, कृष्णा दुबे, बिमला देवोस्कर, वासुमति श्रीनिवासन,पायो मुर्मु, सविता धपवाल, शामला पदमनाभन, समरजीत कौर, गीता पटेल आदि शामिल हैं।