उत्तरकाशी।
मेेरा यह अंतिम कोर्स है, इसके बाद शादी के बारे में सोचूंगा, यह कहकर घर से निम में एडवांस कोर्स के लिए निकला था हरिद्वार का प्रशिक्षु पर्वतारोही संतोष कुकरेती। संतोष कुकरेती ने निम से एडवांस कोर्स के लिए आवेदन किया था। लेकिन सीट फुल होने के कारण उसका आवेदन निरस्त हो गया था। बहुत प्रयास करने के बाद भी संतोष को सीट नहीं मिल पा रही थी। लेकिन अचानक एक दिन निम से फोन आया कि एक सीट खाली हो गई है, तुम कोर्स के लिए आ जाओ।जिस पर संतोष खुशी-खुशी उत्तरकाशी के लिए निकला था। लेकिन अब एवलांच की घटना के बाद से लापता है।
हरिद्वार के चमरिया गांव निवासी संतोष कुकरेती को बचपन से ही एडवेंचर का शौक था। संतोष ने पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स भी निम से किया था। उसके बाद संतोष ने पर्वतारोहण के एडवांस कोर्स के लिए निम में आवेदन किया था। संतोष के छोटे भाई दीपक ने बताया कि पहले एडवांस कोर्स के लिए संतोष का चयन नहीं हो पा रहा था। निम ने सीट फुल होने की बात कह कर चयन से मना कर दिया था। जिस पर संतोष ने चयन के लिए काफी प्रयास किया। लेकिन निम की ओर से साफ इंकार कर दिया गया था। दीपक ने बताया कि 18 सितंबर को अचानक निम से फोन आया कि आप का चयन हो गया है, आप कोर्स के लिए आ जाओ। संतोष खुशी-खुशी 18 सितंबर को ही घर से उत्तरकाशी के लिए निकल गया था। दीपक ने कहा कि मेरी 22 सितंबर को भैय्या से बात हुई तो उन्होंने बताया कि हम कल पहाड़ी के लिए निकल रहे हैं। 12 दिन तक मेरा फोन नेटवर्क में नहीं रहेगा। जब वापस आऊंगा तो बात करूंगा। दीपक ने बताया कि संतोष अधिकतर लद्दाख रहते थे। वहां वह लोगों को ट्रैकिंग आदि का प्रशिक्षण देते थे। संतोष घर के सबसे बड़े बेटा था। इसलिए घर के सदस्य उसकी शादी के बारे में भी सोच रहे थे। संतोष के छोटे भाई दीपक ने कहा कि बड़े भाई ने कहा था कि यह उनका अंतिम कोर्स है। इसके बाद वह घर में शादी की बात करेंगे। लेकिन संतोष हिम स्खलन की घटना के बाद से लापता है। संतोष के पिता अशोक कुकरेती मूल रूप से महाबगढ़ कोटद्वार निवासी हैं। जो वर्षो से हरिद्वार में रह रहे हैं। हरिद्वार में संतोष के दादा सेना से सेवानिवृत्ति के बाद आए थे।